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Saturday, February 9, 2013
खगेन्द्र अधिकारि कावासेाTI-5
राम्री लाग्यौ तिमी, मन पराएँ त के भो ?
हुन्नौ आफनो भनी, भन्न डराएँ त के भो ?
मनमा माया हुँदा, मुखले कीन बोल्नु ?
कल्पनामै यतै कतै, हराएँ त के भो
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